मैं अपनी दोस्ती को शहर में रुसवा नहीं करती |
मुहब्बत मैं भी करती हूँ, मगर चर्चा नहीं करती ||
जो मुझसे मिलने आ जाएँ , मैं उनकी दिल से शुक्रगुज़ार हूँ |
जो उठ के चले जाएँ मैं उन्हें रोका नहीं करती ||
जिसे मैं छोड़ देती हूँ उसे फिर भूल जाती हूँ |
फिर उस हस्ती का रास्ता देखा नहीं करती ||
तेरा इसरार सर आँखों पे, कि तुझको भूल जाऊं मैं |
मैं कोशिश कर के दिखाउंगी. मगर वादा नहीं करती ||
मुहब्बत मैं भी करती हूँ, मगर चर्चा नहीं करती ||
जो मुझसे मिलने आ जाएँ , मैं उनकी दिल से शुक्रगुज़ार हूँ |
जो उठ के चले जाएँ मैं उन्हें रोका नहीं करती ||
जिसे मैं छोड़ देती हूँ उसे फिर भूल जाती हूँ |
फिर उस हस्ती का रास्ता देखा नहीं करती ||
तेरा इसरार सर आँखों पे, कि तुझको भूल जाऊं मैं |
मैं कोशिश कर के दिखाउंगी. मगर वादा नहीं करती ||
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