Pages

Friday, June 21, 2013

सब बेमतलब

हमने अपने हिस्से का प्यार भी किया है
और
लिखी हैं 
उनके हिस्से की कविताएँ
देखे हैं 
खुली आँखों से उनके ख़याल
और
बंद आँखों में उनका होना
वो सारे शब्द
जो मेरे वजूद का 
विस्तार थे उनके लिए
सुना है उनका 
उनके लिए बेमतलब हो जाना